Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हम रोये बहुत

 

 

गुलशन खिंजा बन गई तेरे जानें के बाद ,
हम रोये बहुत तुमको भुलानें के बाद ।

 

तेरी आरजू रही तुझे भूल जायें हम ,
तू भी रो पड़ी मेरे हाथ छुड़ानें के बाद ।।1।।

 

तुझे रोक ना पाये ये कैसी मेरी वेवसी थी ।
तू देखती रही मुड़ के दूर जानें के बाद ।।2।।

 

दिल को धड़कन से जुदा देख नहीं सकते ।
आँसू टपक पड़ा वहीं पलक उठानें के बाद ।।3।।

 

तू जिंदा रहे इन यादों के ताबीर में "पुष्प" ।
फिर मिलेंगे कहीं इस जमानें के बाद ।।4।।

 

 

 

रचनाकार- डॉ.प्रमोद सोनवानी " पुष्प "

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