बढ़ियाँ से एक उड़न खटोला,
काश कहीं से पाते जी ।
अपनें भैया अजय-विजय संग,
दूर गगन में जाते जी ।। 1 ।।
चाँद - सितारों की दुनियां में,
खूब लगाकर चक्कर जी ।
बैठ मजे से फिर चंदा संग ,
हम खाते घी -शक्कर जी ।। 2 ।।
डॉ.प्रमोद सोनवानी पुष्प
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