Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

आल्हा/वीर छंद

 
आल्हा/वीर छंद

जीत कालपी रण में रानी,अंग्रेजों को थी ललकार।
भीषण युद्ध हुआ रानी से,दोनों हाथों में तलवार।।
जब-जब दुश्मन जाल बिछाता, झलकारी करती संहार।
चंडी बनकर झपटी रानी, धर प्रलंयकर का अवतार।।
जनरल स्मिथ को रण में घेरा,रानी देती धूल चटाय।
झलकारी जो डटी वहाँ थी,फिरंगियों को रही सताय।।
रानी झांसी अमर सुता थी,समर क्रांति का बन हथियार।
स्वतंत्रता का परचम थामे, वीर शहीदों का व्यवहार।।

डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष
जिला चिकित्सालय, सीतापुर।
9450022526
मौलिक रचना।

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ