कोर्ट कहे तो क्या कहे , वादी यों पछताय ,
रोगी रोग से मरे , लांछन देयो लगाय ।
जीव मरे तो यों मरे , जीवित को मृत जान ,
रोगी को जाया नहीं , वैध रहे या जाय ।
संभाषण करते सभी , लिखे रोज अखबार ,
कहो लाठी टूटी नहीं , साँप मर गया आज ।
शिव हो तो क्या हुआ , हुआ शव में तब्दील ,
वैध गुरु सी चाकरी , कर पछतावे मीत
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव
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