Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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भाभी

 
अचानक, वह फूट-फूट कर रोने लगी। उसका इस तरह घर आना, और रोना देखकर, मुझे हैरानी हुई। उसे किसी तरह सांत्वना देकर मैंने पूछा क्या हुआ? क्यों रो रही हो?

 तब उसने कहा भाभी, मैं सौरभ  से शादी करना चाहती हूँ। 

यह जानकर मुझे और भी हैरानी हुई । मेरा देवर सौरभ शादीशुदा है। मैंने पूछा पूरी बात साफ-साफ बताओ।   तुम्हारी भेंट सौरभ से कब हुई, और कब तुम लोग नजदीक आए। 

उसने कहा ,भाभी ,मैं सौरभ की क्लीनिक में स्टाफ नर्स हूं। मेरा नाम पूनम है। मैं करीब 2 वर्ष से सौरभ को जानती हूँ। हमारा साथ साथ उठना बैठना है ।सौरभ जहां भी जाते हैं, मुझे साथ ले जाते हैं ।हमारी गहरी  गहरी मित्रता है ।
मैंने पूछा ,पूनम क्या तुम्हें मालूम है, कि, सौरभ विवाहित है ?क्या तुम विवाहित लड़के से विवाह करना पसंद करोगी?
 उसने कहा ,भाभी! मैं सौरव को बहुत पसंद करती हूँ। हम साथ साथ रह लेंगे।मैं छोटी बहन बनकर रह लूंगी।

 मैंने पूछा, क्या तुमने सौरभ से पूछा है? क्या उसकी पत्नी से भेंट हुई है? तुम्हारी उम्र क्या है ?

पूनम ने कहा मैं सिर्फ सौरभ को जानती हूं। मेरी उम्र 28 वर्ष है ।

मैंने पूछा , क्या तुम उसकी पत्नी से मिलना पसंद करोगी?

 पूनम बोली, हां ,मैं उन्हें मना लूंगी।

 भाभी ने आवाज  देकर सौरभ की पत्नी  सरिता को बुलाया  ।
सरिता ने आवाज दी ।आती हूं भाभी। थोड़ी देर में सरिता वहां पर  उपस्थित हुई ।उसने देखा की एक कमसिन लड़की ,भाभी के सामने अश्रु बहाए जा रही है। उनसे मिन्नतें कर रही है।

 सरिता ने पूछा? क्या हुआ भाभी, यह कौन है ?

भाभी ने कहा, यह पूनम है ।सौरभ की क्लीनिक में स्टाफ नर्स है।सरिता यह लड़की भूलवश सौरभ से प्यार कर बैठी है ,और ,अब उससे शादी करना चाहती है।
 पूनम ने हाथ जोड़कर कहा, बहन, मुझे अपनी छोटी बहन बना लो। मैं सौरभ के बिना नहीं रह सकती ।वह मेरा पहला प्यार है।
 सरिता ने नाराज होते हुए कहा , सौरभ की हिम्मत कैसे हुई, कि, मेरे रहते उसने किसी और लड़की की जिंदगी बर्बाद करने की हिम्मत की। आने दो, मैं देखती हूं ।

पूनम गिड़गिड़ाने लगी, बोली दीदी मुझे माफ कर दो ,सब मेरी गलती है। सौरभ मुझे बहुत प्यार करता है ।

सरिता ने कहा, बेटा पुनम तुम भी किसी की संतान हो ।किसी के घर का मान सम्मान हो। सौरभ को ऐसा नहीं करना चाहिए। किसी युवा लड़की के साथ उसकी भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करना चाहिये था। तुम समझदार लगती हो ,अपना भला -बुरा समझती हो ,अब भी समय है ,वापस लौट जाओ। अभी कुछ नहीं बिगड़ा है ,किंतु एक बार मान सम्मान गया। परिवार का मान सम्मान  भी चला जाएगा ।तुम्हारे माता- पिता- ने  बड़े लाड़- प्यार से तुम्हारा   पालन पोषण किया होगा।  अभी तुम नादान हो ,जवानी के जोश में  गलत कदम उठ गए हैं। तुम्हारे पास मौका है। उन्हें सुधार लो ।मैं भी किसी की बेटी हूं। मैं नहीं चाहती कि हमारे खानदान में कोई कलंक लगे। हम सौरभ से इस संबंध में बात करेंगे। 

 सायं प्रहर जब धुंधलका गहराने लगा। गली के बल्ब जगमगाने लगे। गृहणियाँ  परिवार के लिए पकवान बनाने में व्यस्त हो गई। तब सौरभ ने घर में कदम रखा।

 भाभी ने पूछा ,सौरभ क्लीनिक बंद हो गई।
 सौरभ ने कहा, हां भाभी आज काम अधिक था ।
भाभी ने कहा, सौरभ !सच-सच बताओ, कि वहां चल क्या रहा है? पूनम कौन है ?और तुम्हारा उसे क्या रिश्ता है?
 सौरभ ने परेशान होकर कहा ,भाभी पूनम  मेरी स्टाफ नर्स है।
भाभी ने कहा, केवल स्टाफ नर्स या कुछ और भी।
 सौरभ ने कहा, भाभी आप कैसी बात कर रहीं हैं।
इतने में सरिता भी वहां आ गई। सरिता ने कहा, आज पूनम यहां आई थी ।वह रो रो के मिन्नतें कर रही थी। वह तुमसे विवाह करना चाहती है। बताओ !सच-सच बताओ! क्या हुआ है?
 अब सौरभ के भावनाओं का समंदर फूट पड़ा था ।वह फूट -फूट कर रोते हुए बोला ।भाभी हमसे बड़ी गलती हो गई।
 हमारे नजदीकी संबंध बन गए हैं। किंतु, मैं उससे शादी नहीं कर सकता। मैं सरिता के बिना नहीं रह सकता ।सरिता प्लीज, मेरा उससे पीछा छुड़ाओ। मैं बहुत परेशान हूं ।ना रात में नींद आती है ,ना ही दिन में मन शांत रहता है ।मैं  मन ही मन बहुत  परेशान हूं ।भाभी ,मेरी इस गलती को माफ कर दो।   मैं कभी दोबारा ऐसी गलती नहीं करूंगा । उसे समझा लो। मैं फंस गया हूं ।मुझे बचा लो। सौरभ ने उनके के बीच जो घटित हुआ था वह सब कह दिया।

 भाभी ने सरिता को समझाया, अगर कोई भूलवश एक गलती करता है, तो, उसे माफ कर देना चाहिए ।उसे भूल सुधार का मौका देना चाहिए ।यही समझदारी है।
 सरिता ने कहा, ठीक है पहली बार कोई गलती की है। इस भूल को भूल समझ कर माफ कर  देती हूँ। किंतु हम पूनम को क्या जवाब दें।

 सौरभ ने कहा ,भाभी उसे समझाओ, वह हमारा पीछा छोड़ दे। अपने घर के मान सम्मान का ख्याल रखें ।और अपने कैरियर पर ध्यान दें। मैं उसे आज ही क्लीनिक से रिलीज करता हूं।

भाभी ने पूनम को बुलाकर उसे समझाया।  कोई योग्य लड़का देखकर  उसके साथ  विवाह  की सलाह दी, और विवाह का खर्च स्वयं उठाने की बात की। भाभी ने कहा जैसे तुम अपने  माता-पिता की संतान हो,  वैसे तुम मेरी भी संतान हो।भाभी ने पूनम के माता-पिता से भी बात की ।और देवर की इस गलती के लिए माफी मांगी। पूनम योग्य कोई वर चुनने के लिए कहा, जिससे दोनों परिवार के मान सम्मान की रक्षा हो सके ।परिवार की आर्थिक मदद भी की। 
अंततः पूनम का विवाह एक योग्य संस्कारी युवक से हो गया ।जो सरकारी अस्पताल में स्टाफ नर्स था ।दोनों खुशी -खुशी  पारिवारिक जीवन व्यतीत करने लगे।  सौरभ अपने परिवार के लिए समर्पित हो गया। कहा गया है, "सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो भूला नहीं कहाता। " सौरभ और पूनम ने अपनी अपनी गलतियों को भूल कर  एक नये जीवन की शुरूआत  की थी।

डा. प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष
जिला चिकित्सालय सीतापुर
9450022526

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