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लाल रंग का अनोखा खेल

 

लाल रंग का अनोखा खेल
कविता-लाल रंग जीवन का दाता,
लाल रंग है पालनहार।
लाल रंग की अभिलाषा,
करता रोगी है बारम्बार।
लाल रंग खुशि यों का अम्बर,
लाल रंग सुख का आधार।
लाल रंग के बिना है सूना,
मनोकामना है बेकार।
जर-जर काया रखता रोगी,
उठ-उठ गिर -गिर पड़ता है।
श्वास अधर में टंग जाती है,
तब, लाल रंग अवलम्बन बनकर,
जीवन का करता है संचार।
लाल रंग की चाह है प्यारे,
रक्तकेाष है जहाॅ-जहाॅ।
साथी संगी सब मिल आते,
लाल रंग का करते दान।
है महादान पुण्यप्रदाता,
जीवन का रखवाला है।
जीवन रक्षक लाल रंग है,
जीवन सरस बनाता है।
लाल रंग जीवन सुवर्ण है,
कतरा-कतरा सिक्का है,
पाई-पाई जीवन इसका,
मूल्य कभी कम मत करना।
मजहब कैसा-कैसा भी हा,े
हो गोरा या काला।
श त्रु हो या मित्र हमारा,
सबका सहारा सबसे प्यारा,
एक हमारा रक्तदाता।
समरसता सद्भाव भरा है,
रक्तकोष के कण-कण में।
सब का प्यारा सबसे प्यारा,
रक्तकोष है जन जन में।

 


श्चार पक्तियो उन दलालों के नाम जो रक्त का व्यापार करते है, और लोग उनके बारे में बातें करते हैश् -

 

कहते है लोग बिकता है रक्त,
पानी के मोल।
खड़ें है रक्त के दलाल,
लाल रंग बेचने, रूपये के मोल।
इन जहरीलें इन्सानों स,े
भगवान ही बचाये।
ये रक्त की जगह

 

नशीले लाल रंग की कमायी है।
फरिस्ते के रूप में,
ये भूखे भेड़ियों ने,
खून पसीने की कमाई,
नशे में गंवायी है।

 

 

डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव

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