प्रवीण
दोहा गजल- माँ ममता का रूप
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| Sun, Jan 5, 6:04 PM (2 days ago) |
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पाले- पोसे, स्नेह दे , मां ममता का रूप ।
मां श्रुतियों की है ऋचा, जीवन मूल्य अनूप।
सहन करे सब गलतियां, डांटे- मारे आप।
जननी से रक्षित हुए ,राजा- रंक अनूप।
ज्ञान ध्यान से मात जब , पूर्ण करे सब काम ।
अहम त्याग, मेवा मिले। अपने मन अनुरूप।
मां लक्ष्मी का रूप है, शांति व सुख का योग ।
चंचल मन सब कुछ हरे, मां चंचला स्वरूप ।
मां करुणा का रूप है ,दया क्षमा का योग ।
भारत माँ से कांपते, " प्रेम" दुष्ट सम भूप।
डा. प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, "प्रेम"
सीतापुर।उ.प्र.
स्वरचित मौलिक रचना।
कुमार श्रीवास्तव
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