Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरा जीवन है प्रिये

 
मेरा जीवन है प्रिये, प्रिय सब के आधीन।
 परहित  निज जीवन  करुँ,सुख सपने स्वाधीन।
सुख  सपने स्वाधीन,चंचला धन की छाया
 मन चंचल ही करे, छलेगी सबको माया।
कहें प्रेम कविराय, सत्य पथ कठिन है तेरा
प्रेम मार्ग ही चुनूँ ,पथिक है जीवन मेरा।

डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष
जिला चिकित्सालय ,सीतापुर।
मौलिक रचना।

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