रिश्ते
कुण्डलिया
रिश्ते नजदीकी बने, ,दूरी को मजबूर ।
मजबूरी रिश्ता बना, हुये फासले दूर।
हुये फासले दूर, प्यार है ये इकलौता।
पति पत्नी के बीच, प्यार है इक समझौता।
कहें प्रेम कवि राय,घाव जो इतना रिसता।
कटु बोली का घाव, बने दूरी का रिश्ता।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष
जिला चिकित्सालय, सीतापुर।
मौलिक रचना।
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