Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

सबसे प्यारा रूपैया

 

बाप भइया न मइया, सबसे प्यारा रूपैया
रूपैया चुनाव की जान हैं, रूपैया अर्थ की तान हैं।
रूपये के लिये संघर्ष हैं, संघर्ष ही जीवन का सार हैंै।
सार ही ईश्वर की पहचान है, यानि रूपैया परमपिता परमेश्वर हैं।
जे निराकार रूप में पाने की चाहत हैं। साकार रूप में आनन्द ही आनन्द हैं।
साकार ब्रह्म हैं, आराधना हैं, सफलता की पहचान हैं ।
जीवन जीने की कला हैं रूपैया सफल व्यवहार की पहचान है।
प्यार हैं, दुलार है, सम्मान हैं रूपैया, जीवन जाने का आधार है रूपैया।
चुनाव में वोटों का व्यापार हैं रूपैया, उम्मीदवार की सफलता की गारण्टी है रूपैया।
शराब और शबाब की महफिल है रूपैया, गुरबत और शबनम का मजाक हैं रूपैया जो नही चाहिये वो राग द्वेष हैं रूपैया, हिंसा व मातम का रूप हैं रूपैया ।
जीवन की घंृणा एवं वीभत्सता हैं रूपैया, सत्ता की तलाश एवं सत्ता की चाह है रूपैया।
रूपया मिल जाये तो इंसाफ हैं रूपया, बेसहारा की लाठी हैं रूपैया।
भ्रष्टाचार की औकात है रूपैया, आखिरी सांस तक रूपैया अन्यथा सब बेेकार हैं रूपैया।
रूपया मिल जाये तो मुर्दे में प्राण फूंक देती है, आशीषों का पिटारा खोल देती हैं।
जीवन की स्तुति श्लाघा प्रतिष्ठा हैं रूपैया, रूपैया मिल जाये तो जीवनदान है रूपैया ।
रक्त से रक्त की पुकार है रूपैया, भाई से भाई का स्वार्थ है रूपैया ।
अन्यथा सब बेकार है रूपैया।

 

 

 

डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ