त्रिगुणात्मक प्रकृति
पंञ्च चामर छंद
प्रमादि दोष मोचनं सतोगुणी स्वभाव सं।
तमोगुणादि लोचनं मनोबली अभाव मं।
रजोगुणादि पोषितं रजादि दोष भूषितं
सतोगुणादि शोभितं नृपादि दोष मोचितं।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष
जिला चिकित्सालय सीतापुर।
मौलिक रचना।
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