ज्योति पुंज का भव्य पर्व ये , सर्वत्र ज्योतिर्मय होय ।
अहंकार का मर्दन करने , सौम्य रूप जब होय ।
जले दीप घर –घर सबके , मैया घर को आय ,
विजय –पताका फहराएँ , सुख –शांति प्रेम बढ़ाएँ ।
लक्ष्मी का हो घर में वास , माँ की जय- जयकार ।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव
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