विश्व बेटी दिवस पर
माता-पिता की आन बान शान बेटियाँ
घर-घर की आन बान पर कुर्बान बेटियाँ।
मन मोहती सदा जो मुस्कान बेटी की
है मीठे बोल बोलती मासूम बेटियाँ।
हैं हैरान परेशान क्यों? मासूम बेटियाँ
क्यों ? मायूस हैं पापा ,हैं अन्जान बेटियाँ।
चक्करों ने नौकरी के चातक बना दिया
स्वाति नक्षत्र खोजती -फिरती हैं बेटियाँ।
पढें साथ साथ तो हैं, अभिमान बेटियाँ।
पापा गुरू हों तो ,बनें अरमान बेटियाँ।
माँ ने कहा! सुनो! कुछ तो जरा समझो,
लड़कों के साथ खेलती नादान बेटियाँ।
पिता ने कहा सुनो!हैं मेरी जान बेटियाँ।
लड़के- लड़कियों का फर्क मिटाती हैं बेटियाँ।
अरूणा या कल्पना हों संघषों में सदा।
शौर्य अप्रतिम दिखाती हैं बेटियाँ।
पत्नी के रूप में यदि, परेशान बेटियाँ।
पति के व्यवहार से, हैं हैरान बेटियाँ।
सीपी में दर्द के मोती को धारकर,
दोनों घरों का योग हैं, पहचान बेटियाँ।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
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