Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माँ से ही ममता महान है

 
माँ से ही ममता महान है,माता का आभूषण जानो।
बिन ममता नारी वैसे है, जैसे बिन पल्लव तरु मानो।


शस्यश्यामला बसुन्धरा ने,सबको जीवन दिया अनोखा।
सदा हिरण्यगर्भा माता ने ,निज ममता से पाला पोषा।
ममता नैसर्गिक होती है,उसकी क्षमता को पहचानों।
माँ का ऋण सबसे महती है,माँ के पय का  ऋण पहचानों।
बिन ममता नारी वैसे है,जैसे बिन पल्लव तरु मानो।
माँ से ही ममता महान है,माता का आभूषण जानो।

 माँ की गोद सुखद  होती है, माँ का प्यार अभय देता है।
माँ की वाणी सुख देती है,शिशु सपने में खुश होता है।
निज स्वार्थ माँ प्रेम ना करती,अनमोल स्नेह को पहचानों।
माँ शिशु का जीवन सँवारती,वृद्धा का  जीवन सँवार दो।

बिन ममता नारी वैसे है, जैसे बिन पल्लव तरु जानो।
माँ से ही ममता महान है, माता का आभूषण मानो।

 नर जीवन जो रहे अधूरा, नर -नारी के बिना अधूरे।
पूरक एक दूसरे के वो,पर संतति के बिना अधूरे।
 माँ होती है वीणा पाणी,माँ को सब परमेश्वर मानो।
माँ होती है ज्ञान दायनी,माँ को वरदानी सब जानो।
बिन ममता नारी वैसे है, जैसे बिन पल्लव तरु जानो।
माँ से ही ममता महान है,माता का आभूषण  मानो।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक,
संयुक्त जिला चिकित्सालय, बलरामपुर।271201

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