माँ का पय जो शिशु पीता है, धन्य वही कहलाता है।
तन मन धन से स्वस्थ्य वही शिशु, नीरोगी कहलाता है ।
मां की ममता प्यार हमेशा , मात- पिता की छाँव रहे।
घर आंगन में खेले बचपन, द्वार वही कहलाता है।
पढ़- लिख कर शिशु बड़ा हुआ जब, प्रथम गुरू माता कहलायी।
विद्यालय में वाचक गुरू से , अक्षर गिनती भी पढ़वायी।
और कहानी सुना सुना कर ,मां ने सबका मन मोहा है।
माँ की ये ममता अमूल्य है, मां ने लोरी भी सुनवाई।
पालक- पोषक जीवन -दाता, जीवन रक्षण माता करती।
निज जीवन की आहुति देकर ,प्राण न्यौछावर मातु करती।
माँ के पय की इज्ज़त रखना, हो माता पर तन- मन कुर्बान।
जो स्तनपान कराये माता,वीर बहादुर शिशु को जनती।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक,
संयुक्त जिला चिकित्सालय,
बलरामपुर।
सचल भाष-9450022526
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