Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

स्वास्थ्य संकट और पारिवारिक उपेक्षा के समय जीवन में निराशा और आशा के दौर की कहानी

 
स्वास्थ्य संकट और पारिवारिक उपेक्षा के समय जीवन में निराशा और आशा के दौर की कहानी
लेखक: डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणादिनांक: 02.08.23 को पेशेंट ने मुझ से सम्पर्क किया। उसने अपनी व्यथा बतायी। मैंने उसे कहा कि आप जो कुछ आपके मन में चल रहा है, वो सबकुछ विस्तार से लिखकर भेजो। उसको शुद्ध लिखने में संकोच था तो मैंने कहा कि शुद्धता की परवाह नहीं करें, मैं सब ठीक कर लूंगा। आप तो सब कुछ विस्तार से अधिकतम शब्दों में वाट्सएप पर लिखकर भेजें। आखिर उसने उसने 04.08.23 को निम्न शब्दों में अपनी व्यथा लिखकर भेजी:''ताऊजी मुझे बचा लो अब तो जीवन बोझ बन गया है किसी को मेरी जरूरत नही एक झटका ने मेरी आंखे खोल दी जिनके लिये खुद के सपने दाव पर लगा दिये आज उनको मेरी कोई परवाह नही है एक झटका क्या लगा सारा संसार सूना नजर आने लगा है ताऊजी मुझे 21.04.23 को सीने मे बहुत तेज दर्द हुआ अस्पताल मे जांच के बाद हाई ब्लडपेशर और कोलेस्ट्रोल बढने के कारण हार्ट की दिक्कत बताई 48 वर्ष की उम्र मे यह मेरे लिये बहुत बड़ा झटका लगा मुझे दवाई गोली दे दी घी दूध तेल मसाले खाने पर पाबंदी लगा दी और टेंशन नही लेने की हिदायत दे दी लेकिन टेंशन तो पीछा छोड़ने वाला नही था लगातार 2 महीना दवाई ली मेरी सेक्स की क्षमता खतम हो गयी पेट बहुत खराब रहता है दिनभर बदवू वाली गेस पास होती रहती है ये सब डॉक्टर को बताया तो बोले जिंदा रहना जरूरी है या सेकस करना जरूरी है पत्नी का व्यवहार बहुत रूखा हो गया है मेरे पास बैठकर 2 मिनट बात करने की उसको फुर्सत नही है ऐसा लगता है जेसे अब मैं उसके कोई काम का नही रहा वो मेरे लिये अलग से कोई अच्छा सा खाना नही बनाती अपने और बच्चो के लिये हर रोज कुछ न कुछ स्पेशल बनाकर खिलाती रहती है 22 की बेटी और 20 के बेटा ने मेरी परवाह करना तो दूर मुझ से बात करना ही बंद कर दिया है सब अपनी मौज मस्ती मे है उनको मुझ से बस रूपये चाहिए मुझे रू कमाने की मशीन समझ लिया है बहन भाइयो जिनकी पढाई पर मेंन शुरू की 7 साल के वेतन को लगा दिया और खुद अभावो में जिया सबको नौकरी लगाई दोनो भाई इजीनियर है बहन टीचर है सबकी अच्छी शादी हो गयी सब मजे मे है उनकी ओर से कोई मानसिक सपोर्ट नही मिला मिलने तक नही आये फोर्मलटी के लिये एक दो बार फोन कर लिया और बात खत्म सबसे दुख इस बात का हुआ कि मुझे सबने अपने हाल पर छोड दिया जब मुझे सबकी सबसे ज्यादा जरूरत रही मेरे साथ कोई नही जिस पत्नी को मेंने जेवर कपडे और सब कुछ दिलाया वो अब बात बात पर ताने देती है लगता है जैसे सेक्स नही कर पा रहा हूं तो में उसके लिये बेकार हो गया एक दिन तो यहां तक बोल गयी कि हमारे ऊपर बोझ बन गये हो इससे अच्छा होता कि मर जाते तो तुम्हारी जगह बेटा को नौकरी मिल जाती इन हालातो मे कुछ भी अच्छा नही लगता नौकरी करने मे भी मन नही लगता है लेकिन नौकरी करना जरूरी है इन हालातों मे मेरी टेंशन बहुत अधिक बढ गयी है हमेशा डर लगा रहता है कि हार्ट अटैक से मर जाऊगा ताऊजी अब आप से ही उम्मीद बची है मै आपको 5 साल से पढता हूं आपने हजारो की जिदगी बचाई है मुझे भी बचाये कुछ भी करके इन दवाइयो से पीछा छुडा दे और मेरी सेक्स पावर वापस कर दे जिससे बची जिदगी को जी सकू मेरा इलाज करो कौंसलिंग करो जो भी करो मगर मुझे बचा लो अनेक बार मन मे बुरे बुरे खयाल आत है सारी दुनिया बीरान लगती है मुझे इतने से दिन में लग गया कि सारी दुनिया स्वार्थी है किसी को किसी के दुख तकलीफ से कोई लेना देना नही''नोट: लंबी वेटिंग लिस्ट होने के बावजूद पेशेंट के विशिष्ट और चिंताजनक हालातों को ध्यान में रखकर, उसका नाम वेटिंग लिस्ट में नहीं डालकर उसकी तुरंत सेवा शुरू की गयी।पाठकों की जानकारी के लिये बताया जा रहा है कि उक्त विवरण को मैंने निम्न शब्दों में सुधारा:ताऊजी, मुझे बचा लो। अब तो जीवन बोझ बन गया है। किसी को मेरी जरूरत नहीं है। एक झटके ने मेरी आंखें खोल दीं। जिनके लिए मैंने खुद के सपने दांव पर लगा दिए, आज उनको मेरी कोई परवाह नहीं है। एक झटका क्या लगा, सारा संसार सूना नजर आने लगा है।ताऊजी, मुझे 21.04.23 को सीने में बहुत तेज दर्द हुआ। अस्पताल में जांच के बाद हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल बढ़ने के कारण हार्ट की दिक्कत बताई गई। 48 वर्ष की उम्र में यह मेरे लिए बहुत बड़ा झटका लगा। मुझे दवाइयां दी गईं और घी, दूध, तेल, मसाले खाने पर पाबंदी लगा दी गई और टेंशन नहीं लेने की हिदायत दी गई। लेकिन टेंशन तो पीछा छोड़ने वाला नहीं था।लगातार 2 महीने दवाइयां लीं, मेरी सेक्स की क्षमता खत्म हो गई। पेट बहुत खराब रहता है और दिनभर बदबू वाली गैस पास होती रहती है। ये सब डॉक्टर को बताया तो बोले, "जिंदा रहना जरूरी है या सेक्स करना जरूरी है।"पत्नी का व्यवहार बहुत रूखा हो गया है। मेरे पास बैठकर 2 मिनट बात करने की उसे फुर्सत नहीं है। ऐसा लगता है जैसे अब मैं उसके किसी काम का नहीं रहा। वह मेरे लिए अलग से कोई अच्छा सा खाना नहीं बनाती। अपने और बच्चों के लिए हर रोज कुछ न कुछ स्पेशल बनाकर खिलाती रहती है। 22 साल की बेटी और 20 साल का बेटा मुझसे बात तक नहीं करते हैं। सब अपनी मौज-मस्ती में हैं। उनको मुझसे बस रुपये चाहिए। मुझे रुपयों की मशीन समझ लिया है।बहन-भाई जिनकी पढ़ाई पर मैंने मेहनत की, 7 साल के वेतन को लगा दिया और खुद अभावों में जिया, सबको नौकरी लगाई। दोनों भाई इंजीनियर हैं, बहन टीचर है। सबकी अच्छी शादी हो गई। सब मजे में हैं। उनकी ओर से कोई मानसिक सपोर्ट नहीं मिला। मिलने तक नहीं आए। फॉर्मलिटी के लिए एक-दो बार फोन कर लिया और बात खत्म।सबसे दुख इस बात का हुआ कि मुझे सबने अपने हाल पर छोड़ दिया। जब मुझे सबसे ज्यादा जरूरत थी, मेरे साथ कोई नहीं था। जिस पत्नी को मैंने जेवर, कपड़े और सब कुछ दिलाया, वह अब बात-बात पर ताने देती है। लगता है जैसे सेक्स नहीं कर पा रहा हूं, तो मैं उसके लिए बेकार हो गया। एक दिन तो यहां तक बोल गई कि "हमारे ऊपर बोझ बन गए हो, इससे अच्छा होता कि मर जाते तो तुम्हारी जगह बेटे को नौकरी मिल जाती।"इन हालातों में कुछ भी अच्छा नहीं लगता। नौकरी करने में भी मन नहीं लगता है, लेकिन नौकरी करना जरूरी है। इन हालातों में मेरी टेंशन बहुत अधिक बढ़ गई है। हमेशा डर लगा रहता है कि हार्ट अटैक से मर जाऊंगा। ताऊजी, अब आपसे ही उम्मीद बची है। मैं आपको 5 साल से पढ़ता हूं। आपने हजारों की जिंदगी बचाई है, मुझे भी बचाएं। कुछ भी करके इन दवाइयों से पीछा छुड़ा दें और मेरी सेक्स पावर वापस कर दें, जिससे बची जिंदगी को जी सकूं। मेरा इलाज करें, काउंसलिंग करें, जो भी करें मगर मुझे बचा लो। अनेक बार मन में बुरे-बुरे ख्याल आते हैं। सारी दुनिया वीरान लगती है। मुझे इतने से दिन में लग गया कि सारी दुनिया स्वार्थी है, किसी को किसी के दुख तकलीफ से कोई लेना-देना नहीं है।उपरोक्त के अलावा भी पेशेंट से बहुत सी जानकारी प्राप्त की गयी और सभी बातों को जानकार पेशेंट के अवसाद और निराशा से भरे उक्त विवरण का विश्लेषण किया तो उनके उपचार हेतु निम्न बिंदु उपयोगी प्रतीत हुए:1. शारीरिक स्वास्थ्य संकट: सीने में दर्द, उच्च रक्तचाप, और कोलेस्ट्रॉल की समस्या।2. मनोवैज्ञानिक तनाव: परिवार और रिश्तेदारों से उपेक्षा का अनुभव।3. सेक्सुअल स्वास्थ्य: दवाइयों के कारण सेक्स क्षमता की कमी।4. पारिवारिक संबंध: पत्नी और बच्चों का ठंडा व्यवहार।5. समाजिक समर्थन की कमी: भाई-बहनों और रिश्तेदारों का समर्थन न मिलना।6. आत्म-सम्मान में कमी: खुद को बेकार महसूस करना।7. जीवन और मृत्यु का डर: हार्ट अटैक का डर और आत्महत्या के विचार।8. यौन क्षमता खो देने का डर: यौन उत्तेजना नहीं आने के कारण यौन क्षमता खो देने का डर।उक्त लक्षणों के आधार पर उसके केस को रिपर्टराइज करके शुरू में निम्न होम्योपैथिक दवाओं का चयन किया गया:1. इग्नेशिया अमारा (Ignatia Amara): यह उन लोगों के लिए है जो गहरे मानसिक सदमे, निराशा और उदासी का सामना कर रहे हैं।2. आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album): यह उन लोगों के लिए है जो अत्यधिक चिंता, असुरक्षा और भविष्य के भय का सामना कर रहे हैं।3. नेट्रम म्यूर (Natrum Muriaticum): यह उन लोगों के लिए है जो गहरे मानसिक दुख, अकेलापन और अस्वीकृति का सामना कर रहे हैं।इत्यादि।उक्त लक्षणों के आधार पर मानसिक और भावनात्मक लक्षणों के आधार पर शुरू में निम्न बैच फ्लावर रेमेडीज का चयन किया गया:1. रेड चेस्टनट (Red Chestnut): यह उन लोगों के लिए है जो अपने प्रियजनों के बारे में अत्यधिक चिंता करते हैं।2. पाइन (Pine): यह उन लोगों के लिए है जो खुद को दोषी मानते हैं और खुद पर अत्यधिक आरोप लगाते हैं।3. क्रैब एपल (Crab Apple): यह उन लोगों के लिए है जो अपने शरीर के बारे में चिंता करते हैं।4. विलो (Willow): यह उन लोगों के लिए है जो महसूस करते हैं कि उनके साथ अन्याय हुआ है और वे अपने हालात के लिए दूसरों को दोष देते हैं।5. हॉली (Holly): यह उन लोगों के लिए है जो अपने प्रियजनों के प्रति गुस्से और ईर्ष्या के भाव रखते हैं।6. वॉलनट (Walnut): यह उन लोगों के लिए है जो जीवन में परिवर्तन से गुजर रहे हैं और उन्हें एडजस्ट करने में कठिनाई हो रही है।7. सकेलरेंटस (Scleranthus): यह उन लोगों के लिए है जो निर्णय लेने में कठिनाई महसूस करते हैं और मन में द्वंद्व का सामना कर रहे हैं।पेशेंट की तकलीफों को ध्यान में रखते हुए शुरू में निम्न सर्वश्रेष्ठ जड़ी-बूटियों का चयन किया गया:1. अश्वगंधा2. शंखपुष्पी3. मंडूकपर्णी4. शोधित कौंच बीज5. बलराज की जड़6. सेमल कंद7. सफेद मूसली8. ब्राह्मी9. बीजबंद10. अर्जुन की छालइत्यादि।पेशेंट की तकलीफों और हालातों को ध्यान में रखते उनको निर्धारित समय पर, निर्धारित मात्रा में, निर्धारित रीति से नियमित रूप से फल और सलाद का सेवन करने को निर्देशित किया गया। साथ ही उसे सख्त हिदायत दी गयी कि वो एनीमल फूड मांस और दूध से बने सभी उत्पादों सहित, जंक फूड, डेयरी फूड, बैकरी फूड, पैक्ड फूड, बाजारू भोजन आदि का सेवन नहीं करें।आमतौर पर मैं पहले दो महीना का कोर्स सेवन करवाता हूं और उसके बाद 4 से 6 महीना बाद पेशेंट की काउंसलिंग करता हूं, लेकिन इस पेशेंट की सबसे पहले काउंसलिंग की गयी और उसके बाद उसको कोर्स भेजा गया। शारीरिक रूप से सक्रिय रहने और हल्के व्यायाम करने को प्रेरित किया गया। कुछ किताबें पढने की सलाह दी गयी। निर्धारित कोर्स के नियमित सेवन के साथ साथ मात्र 3 काउंसलिंग में पेशेंट का मानसिक और भावनात्मक संतुलन कायम हो गया। उसके जीवन में निराशा का स्थान आशा ने ले लिया। मैं हर 15 दिन में पेशेंट से हेल्थ प्रोग्रेस रिपोर्ट मंगवाता हूं, जिनसे उनके स्वास्थ्य पर नजर रखना आसान हो जाता है। हेल्थ प्रोग्रेस रिपोर्ट्स के आधार पर समय समय पर कोर्स में तीनों पद्धतियों की दवाइयों या उनकी शक्ति या डोज में जरूरी बदलाव किये गये और अब मेरे लिये और खुद पेशेंट के लिये खुशी की बात है कि पेशेंट न मात्र स्वस्थ हो गया है, बल्कि उसे दुनियादारी, परिवार और अपने स्वस्थ जीवन का मूल्य भी समझ में आ गया है। जिसे दिनांक: 26.06.24 को उसने खुद ही मुझे लिखकर भेजा है। जिसे खुद पेशेंट के शब्दों में पढा जा सकता है:''ताऊजी आपके चरणो मे ढोक में आपका जीवनभर आभारी रहूंगा आपने मुझे बचा लिया और मेरे जीवन मे फिर से जीने की वजह पैदा कर दी आपका करीब 8 महीने के इलाज और 3 बार की आपकी कौंउसलिंग ने मेरे दुख के पहाड को बोना कर दिया मेरी हाई बीपी और कोलेस्ट्रोल की दवाई छुडा दी मेरी सेक्स पावर फिर से वापस आ गयी और अब आपने मुझे सिखा दिया कि खुद का जीवन है तो दुनिया है नही तो कोई किसी का नही है बीच बीच मे कुछ कारणो से मे दवाई नही ले सका लेकिन आपने मुझे कभी प्यार से तो कभी डाट डपट कर अनुशासन का महत्व समझाया और सही से दवाई लेना समय पर फल सलाद और सही भोजन करना सिखा दिया जिसके लिये आपका हमेशा आभारी रहूंगा अब मै मजबूत हो गया हूं मेने आपकी बतायी एक्सरसाइज करके अपना वजन 80 से 70 किलो कर लिया है अब मुझे कोई डर नही है मजे से जिदगी जी रहा हूं अब बची जिदगी को आपके मार्गदर्शन मे जीना चाहता हूं मेरे लायक कभी कोई काम हो तो बतना आपकी सेवा करके मुझे खुशी होगी इस दौरान मुझ से मूर्खताएं और गलतियां हुई उनके लिये हाथ जोडकर माफी मांगा हूं ताऊजी मुझे माफ कर देना.''लेखकीय अनुरोध:जो कोई भी इस प्रकार की मानसिक पीड़ा, तिरस्कार और अपमान के कारण घुटनभरा जीवन जी रहे हैं, वे निराश नहीं हों और मुझे विस्तार से वाट्सएप पर लिख भेजें या अपने काउंसलर तथा डॉक्टर को बतायें। हां यह बात अवश्य याद रहे, जो डॉक्टर या काउंसलर आपकी सेवा करेगा, वो समय की कीमत अवश्य लेगा, जो आपको खुशी खुशी अदा करनी चाहिये। कारण आपको समझ में आ ही गया होगा कि जिनपर आपने अपना जीवन लगा दिया, जरूरत के वक्त उनका व्यवहार कैसा रहा? जिसने आपको स्वस्थ करने में अपना अमूल्य अनुभव और समय लगाया, आपके जीवन में फिर से आशा और उमंग का संचार किया, आपको सही खानपान और जीवन जीने का तरीका बताया, वो आपके लिये, आपके अपनों की तुलना में कितना महत्वपूर्ण है?स्वास्थ्य रक्षक सखा आदिवासी ताऊ WhatsApp No.: 8561955619: Online Advance Paid-Health Care, Health Advisor & Counselor, Organic Herbs Supplier, Motivator, Homeopath, Magnetotherapist, Herbalist and Biochemic Practitioner. दाम्पत्य एवं वैवाहिक विवाद सलाहकार। जड़ी-बूटियों पर शोध, प्रयोग, आर्गेनिक रीति से पैदावार, पात्र लोगों के साथ बीजों का मुफ्त आदान-प्रदान करना। पीलिया की दवाई फ्री। सोशियन एक्टिविस्ट। विभिन्न विषयों पर सतत चिंतन, लेखन और व्याख्यान। संचालक-निरोगधाम (ऑर्गेनिक देशी जड़ी-बूटी उत्पादन केन्द्र), मूण्डियारामसर, सिरसी-बेगस रोड, जयपुर-302041, राजस्थान। 27.06.24




 One attachment  •  Scanned by Gmail





Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ