Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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फहर फहर फहराये तिरंगा

 

फहर फहर फहराये तिरंगा

लहर लहर लहराये तिरंगा
फहर फहर फहराये ।
इसे थामकर देश हमारा
आगे बढ़ता जाये ।
तिरंगा फहर फहर फहराये ।

यह केसरिया रंग
सबेरे के सूरज का बाना ।
जिसे पहनकर ऋषि मुनियों ने
मर्म धर्म का जाना ।
यह केसरिया रंग
कुसुम्भी जैसे फूल सुहाये ।
जिसमें रँगकर के संतों ने
गीत भक्ति के गाये ।
यह केसरिया रंग
कि जैसे अंगारों की काया ।
जिसे धार मन में
वीरों ने रण में शौर्य दिखाया ।
यह केसरिया रंग
कि जैसे जौहर की ज्वालायें ।
जिन में कूदीं
निज सतीत्व की रक्षा हित बालायें ।
त्याग शौर्य बलिदान पराक्रम
के यह भाव जगाये ।
इसे थामकर देश हमारा
आगे बढ़ता जाये ।
तिरंगा, फहर फहर फहराये ।

श्वेत धवल यह रंग
ज्ञान की देवी की ज्यों भूषा ।
काव्य कला संगीत
बुद्धि विद्या की जो मंजूषा ।
श्वेत धवल यह रंग
कि जैसे हो हंसों की काया ।
नीर - क्षीर का जिनमें
अनुपम सदा विवेक समाया ।
 

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