क्षमा वाणी
भूल यदि कोई हुई हो ज्ञान या अज्ञान से ।
कर रहे उत्तम क्षमा की याचना श्रीमान से ॥
हो गई हमसे अगर त्रुटि मान मद में लीन हो ।
लोभ माया मोह या फिर क्रोध के आधीन हो ।
कीजिये उपकृत हमें निज नेह के वरदान से ॥
कर रहे उत्तम क्षमा की याचना श्रीमान से ॥१॥
हो प्रमादी यदि विमुख हम हो गये निज धर्म से।
हो गया अपराध कोई मन वचन या कर्म से ।
आज नतमस्तक खड़े हैं विरत हो अभिमान से॥
कर रहे उत्तम क्षमा की याचना श्रीमान से ॥२॥
सब कषायों का तो केवल इक अहम् ही मूल है।
पालना इसको हृदय में प्राणियों की भूल है ।
कर तिरोहित निज अहंको आज अपने ध्यानसे।
कर रहे उत्तम क्षमा की याचना श्रीमान से ॥३॥
- डाॅ. राम वल्लभ आचार्य
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