Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मन में संग्राम

 
हमारी दसों इन्द्रियों के विषय हमें निरंतर पापकर्मों की और प्रेरित करते हैं किन्तु हमारा संयम उन पर अंकुश लगा कर हमें सत्कर्मों में लगाता है । यह अधर्म और धर्म का युद्ध हमारे अपने मन में भी निरंतर चल रहा है । संयम रूपी राम सदा विजयी हों इसी कामना के साथ विजयदशमी पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ! 
मन में  संग्राम
इन्द्रियाँ दशकंधर हैं संयम है राम ।
चलता है निशदिन ही मन में संग्राम ॥
लोभ के खरदूषण मुँह बाये खड़े ।
कामना की शूर्पनखा पीछे पड़े ।
लक्ष्मण सी चाहिये विवेक की लगाम ॥
चलता है निशदिन ही मन में संग्राम ॥१॥
वैदेही बुद्धि पर हैं मोह आवरण ।
अहंकार रावण करता सिया हरण ।
चाहिये विभीषण सा ज्ञान पूर्णकाम ॥
चलता है निशदिन ही मन में संग्राम ॥२॥
सत्य धर्म न्याय नीति वनगमन करें ।
मद मत्सर शक्तियाँ निश्चेतना भरें ।
लायें संजीवनी हनुमान भक्तिधाम ॥
चलता है निशदिन ही मन में संग्राम ॥३॥
                      - डा. राम वल्लभ आचार्य








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