????आँचल ???? ************
याद आती है माँ मुझे,तेरे आँचल की छाँव
ममता से सँवार के,सिर को सहलाया।
शहद से मीठी थी वो,मिर्ची सी तीखी डाँट भी
प्यार अपना लुटाके,कनिया पे बिठाया।
स्नेह निर्झर बहता,माँ तेरी मृदु लोरी से
सपनों को सहला के, थपकी दे सुलाया।
शीतल वायु के झोंखे,तेरी प्यारी गोद बने
बाहों के झोंटे देकर,मुझे लाड़ लड़ाया।
नयन नीर बहा देते,देता कोई घात मुझे
प्यार का सागर लुटा, नेह को बरसाया।
आज माँ को याद कर,व्यथित मन रोता है
नहीं रही वो जिसने,मेरा साथ निभाया।
********************************** डॉ. रजनी अग्रवाल"वाग्देवी रत्ना"
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