जो प्यार करता है
वह कवि बन जाता है
जो धोका देता है
वह राजनेता कहलाता है।
अब सोचना है
कि स्वयं को लुटा दे
या सबको लूट लेना है
ठोकरें खाते जाना है
या ठोकर देना है
हर गली चौराहे पर
गीत मधुर गुनगुनाना है
या आश्वासन भरे भाषण से
सबका मन मोह लेना है
अंतर केवल इतना है
कवि हृदय की तान छेडता है
नेता दिमाग से उल्लू बनाता है
कैसी है यह दुविधा
किसी से प्यार करूँ
या प्यार के नाम पर धोका दूँ?
कवि बन दिल पर राज करूँ?
या राजनेता बन देश चलाऊँ?
डॉ.राजश्री मोकाशी
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY