आज घास उगती नहीं
उगायी जाती है
उस पर कीड़े नहीं
आदमी रेंगते हैं
जानवर की खुराक कहाँ
लॉन की वह शान है
अमीरों की पहचान है
एक बूंद के लिए
कहीं हाहाकार है
किंतु....
लॉन की घास
इससे अनजान है
क्योंकि इन्सान से अधिक
उसका मान है।
डॉ.राजश्री मोकाशी
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