हमने अपनी माँ की कोख नहीं चुनी
इस दुनिया में पैदा होने के लिए
हमने अपनी मौत नहीं बुनी
इस दुनिया से विदा होने के लिए.
उन्हें भ्रम है कि उनका रूप
उनका गुण, जाति, पद-पदार्थ सब
उन्होंने गढ़ा है
किसी इश्वर का उससे कोई लेना-देना नहीं.
कितना अच्छा होता
कि यह सब गढ़ना अपने बूते संभव होता
तो मै एक कबीर हो जाता
एक राम में पूरा बाजार खरीद कर
सदा सदा के लिए निश्चिन्त हो जाता.
डा० रमा शंकर शुक्ल
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