Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बेनकाब हो रहे हैं एक एक कर

 

चमन के पहरेदार
दिल में थी जहाँ आस्था
निकालता है अब
मार अब उसको मार.
बड़ी मनचली है
ये बदलाव की रानी
हर नई बात अच्छी
हर पुराना बेकार.
क्या करें इस नई समृद्धि का
अचानक से ईमान को
बेश्या बना दिया
मर रही हैं संवेदनाएं
आदमी खड़ा लाचार.

 

 

डा० रमा शंकर शुक्ल

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