Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माँ

 

बचपन में हम बिना माँ के नहीं रह पाते थे
माँ के अलावा कुछ नहीं सह पाते थे
तब था कि माँ है तो सारा जहाँ है
माँ के बिना कौन किसका कहाँ है
अब हम बड़े हैं, अपने पाँव पर खड़े हैं
माँ शहर से पास है मगर
दिल से बहुत दूर है.
हम बचपन में कराहते थे तो
माँ सीने से चिपका कर रोने लगती
अब माँ कराहती है तो हम
उसे फोन पर डाक्टर बुलाने की सलाह देते हैं.
ऐसा क्यों हुआ?
दर-असल मै और माँ के बीच
एक औरत है, जिससे पहले दिल और
आज दिमाग बजा करता है
वह मेरे बच्चे की माँ है
जिसके दिल में प्यार से ज्यादा
माँ का लिहाज बसा करता है.

 

डा० रमा शंकर शुक्ल

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