Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माई की आँख में न हो आसुओं का सैलाब

 

माई की आँख में न हो आसुओं का सैलाब
दूध के साथ बेटी में खंजर भी उतारिये।

 

वर्जनाओं की चादर उढ़ाकर न घेरिये उसे
पूरी कायनात में उड़ने का तरीका भी बताइये।

 

ये हालात तो हमने-आपने ही पैदा किये हैं
हो सके तो बेटियों से लाज का पहरा हटाइये।

 

घोसलों में रात दिन दुबकाए ही रह गए हम
वक्त है अब तो उड़ानों में तूफ़ान ले आइये।

 

बहुत हो चुका बेटी-बेटी पुकारते हुए हमें
फासले हटाकर जरा बेटा भी बुलाइये।

 

डा० रमा शंकर शुक्ल

 

 

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