Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नवगीत

 

हो अपना बाग़ सजा के रखना
तो माली सभी हटा के रखना
हर पौधे संग बातें करना
और हथेली फुनगी पर रखना

 

पौधे सदा अबोध रहे हैं
दुःख कहे नहीं चुपचाप सहे हैं
धूप उन्हें जब-जब झुलसाई
चुप नयनों से नीर बहे हैं.
कभी अकेले उनको सुनना
कितना प्यारा उनका कहना.

 

डा० रमा शंकर शुक्ल

 

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