Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नवगीत

 

दियली में रोशनी
अंधियारे में गाँव
मरते खेतों से लौटे
धूल भरे हजारों पाँव.
देश तरक्की की राह पर.

 

वाणी कहे राम गुण
सब रावण के कर्म
उदर पूर्ति जो कर सके
सबसे उत्तम धर्म
जंगल में झरबेरी बची
नहीं पथिक को छाँव
देश तरक्की की राह पर.

 

असंसदीय संसद हुआ
शिक्षालय खैराती घर
गुरूजी ठेकेदार हैं
पढ़ा-पढ़ा के डर
कुर्सी कुर्सी लग चुके
कई सियासी दांव
देश तरक्की की राह पर.

 

डा० रमा शंकर शुक्ल

 

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