दिल से उम्मीद का दामन जो छूट जायेगा।
बसा है ख्वाब जो आँखों में टूट जायेगा ।।
एक शीशे का पियाला है ज़िन्दगी नाज़ुक
नही सम्हाल के रक्खा तो फूट जायेगा।।
जज़्ब ए चैन उँगलियों ने थाम रक्खा है
सम्हालना नहीं हाथों से छूट जायेगा।।
दिलों के प्यार की ढाली शराब शीशे में
लबों की हल्की सी जुम्बिश से टूट जायेगा।।
न यों बेकार की बातों में वक़्त ज़ाया हो
हयात इश्क़ का पैकर है रूठ जायेगा।।
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डॉ रंजना वर्मा
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