हम को उन से है तो उन को भी मुहब्बत होगी।
चले आयेंगे कभी जब उन्हें फ़ुरसत होगी।।
ये अँधेरा ये बियांवा यहीं अब रहना है
खण्डहरों ने जो डराया तो मुसीबत होगी ।।
न भूलने उसे देंगे न भुलायेंगे कभी
भूल जाये हमें उस की न ये जुर्रत होगी।।
जुगनुओं से न कोई रास्ता रौशन होगा
रौशनी के लिये शम्मा की ज़रूरत होगी।।
ख़ुदा को देख न पाये मगर है माँ देखी
उसी के पांव के नीचे कहीं जन्नत होगी।।
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डॉ रंजना वर्मा
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