मापनी - 2122 2122 212
काफ़िया - आ रदीफ़ - गया
ख्वाब में उनको बुलाना आ गया ।
रौशनी में ज्यों नहाना आ गया ।। 1
घर जो' अपना हैं बना सकते नहीं
पर जलाना आशियाना आ गया ।। 2
थे हमेशा गीत गाते प्यार के
अब उन्हें हमको सताना आ गया ।। 3
जब जरा सी रंग की बौछार की
लो उन्हें नज़रें मिलाना आ गया ।। 4
हर तरफ़ यूँ छा गयीं खामोशियाँ
कौन ग़म का ले तराना आ गया ।। 5
थी बड़ी उनमे भरी शाइस्तगी
आज क्यूँ नजरें चुराना आ गया ।। 6
जन हितों से है सियासत खेलती
मतलबी कैसा जमाना आ गया ।। 7
निगलतीं सच को समय की गर्दिशें
झूठ का देखो जमाना आ गया ।। 8
कब तलक सोयेंगे आँखें मूँद कर
अब हमे भी आजमाना आ गया ।। 9
___________ - डॉ. रंजना वर्मा
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