काफ़िया - आया रदीफ़ - है
मापनी - 22 22 22 22 22 2
नम आँखों में जो हरदम मुस्काया है ।
नहीं वहम है वो मेरा हमसाया है ।। 1
कहने को हम भी हँस मुस्का लेते हैं
पर इस दिल पर अब भी ग़म का साया है ।। 2
जब भी मिरी मुंडेर कबूतर है उतरा
लगता साजन का सन्देशा आया है ।। 3
सहमी सहमी आयी हैं फिर बरसातें
आँखों ने जी भर आँसू बरसाया है ।। 4
साथी साक़ी पैमाने की बात न कर
नशा इश्क़ का अब तक मुझपर छाया है ।। 5
डगमग होते पांव संभल ही जायेंगे
किसने कब किस को घर तक पहुँचाया है ।। 6
करें इबादत मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे
रब ने लेकिन किसको कभी बुलाया है ।। 7
मरने पर सब हैं समाधियाँ बनवाते
जीते जो उनको सबने ठुकराया है ।। 8
मुझे नहीं चिन्ता आँधी तूफानों की
मेरे सर माँ के आँचल की छाया है ।। 9
--------------------------- डॉ. रंजना वर्मा
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