यूँ तो दिखाई' देता मौसम बड़ा सुहाना
जब चाहे' राह बदले मौसम का क्या ठिकाना ।। 1
हाँ आज तो सभी की फ़ितरत है मौसमों सी
पल भर में' भोर होती पल रात का बहाना ।। 2
ये रात के अँधेरे सब को डरा रहे हैं
उम्मीद की किरण ले दीपक जरा जलाना ।। 3
ठोकर है हर कदम पर थक जाये' जिन्दगानी
है राह मुश्किलों की बच कर कदम बढ़ाना ।। 4
वो ग़ैर की हमेशा तकदीर रहते' लिखते
पड़ जाये' आज शायद खुद को ही' आजमाना ।। 5
मझधार है भँवर है नइया भी' है पुरानी
है छिद्र भी तले में हिम्मत न हार जाना ।। 6
तुम को न रोक पाये तूफान आँधियाँ भी
ये पांव रुक न पायें मंजिल है' तुम्हे पाना ।। 7
-------------------------------- डॉ. रंजना वर्मा
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