Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दोहावली

 

"दोहावली" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जो मन में हो आपके, लिखो उसी पर लेख।
बिना छंद तुकबन्दियाँ, बन जाती आलेख।१।
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मन पंछी उन्मुक्त है, इसकी बात न मान।
जीवन एक यथार्थ है, इसको लेना जान।२।
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रवि की किरणें दे रहीं, जग को जीवन दान।
पाकर धवल प्रकाश को, मिल जाता गुण-ज्ञान।३।
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श्रीकृष्ण ने कर दिया, माँ का ऊँचा भाल।
सेवा करके गाय की, कहलाये गोपाल।४।
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जीवन तो त्यौहार है, जानो इसका सार।
प्यार और मनुहार से, बाँटो कुछ उपहार।५।
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तम हरने के वास्ते, खुद को रहा जलाय।
दीपक काली रात को, आलोकित कर जाय।६।
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अमर शहीदों का कभी, मत करना अपमान।
किया इन्होंने देशहित, अपना तन बलिदान।७।
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बिल्ले रखवाली करें, गूँगे राग सुनाय।
अब तो अपने देश में, अन्धे राह बताय।८।
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सूखे रेगिस्तान में, खोज रहे क्यों तोय।
ख्वाबों के संसार में, जीना दूभर होय।९।
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छात्र और शिक्षक जहाँ, करते उलटे काज।
फिर कैसे बन पायेगा, उन्नत देश-समाज।१०।
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गुलदस्ते में अमन के, अमन हो गया गोल।
कौन हमारे चमन में, छिड़क रहा विषघोल।११।

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