‘द कश्मीर फाइल्स’ का संदेश
विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्मित-निर्देशित बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ का प्रीमियर-शो पिछले दिनों जम्मू में हुआ जिसमें प्रेस-संवाददाताओं के अलावा प्रांत के जाने-माने बुद्धिजीवी,चिंतक,सामाजिक कार्यकर्ता,संभ्रांत व्यक्ति आदि सम्मिलित हुए।‘द कश्मीर फाइल्स’ की कहानी 90 के दौर में घाटी में हुए कश्मीरी पंडितों के निष्कासन और इस दौर के राजनीतिक माहौल पर आधारित है। फिल्म में मुख्य किरदार के रूप में मिथुन चक्रवर्ती, अनुपम खेर, पुनीत इस्सर, पल्लवी जोशी जैसे कलाकार मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।उदीयमान स्थानीय अभिनेत्री भाषा सुम्बली ने भी इस फिल्म में सशक्त भूमिका निभायी है। फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ 11 मार्च २२ को सिनेमा-घरों में रिलीज होने वाली है। लेकिन रिलीज होने से पहले ही फिल्म विवादों में घिर चुकी है। ‘द कश्मीर फाइल्स’ के खिलाफ मुंबई हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। जिसमें फिल्म के कंटेंट को लेकर आपत्ति दर्ज करवाई गई है। याचिका में फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की रिलीज को रोकने की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि फिल्म का ट्रेलर एक विशेष समुदाय को गलत ढंग से पेश करता है और कुछ दृश्यों से भाईचारे की भावना की क्षति और सामुदायिक कटुता को बढ़ावा मिलता है। यह भी आरोप लगाया गया है कि इस फिल्म से साम्प्रदायिक सद्भाव पर प्रश्नचिन्ह लगता है और दो समुदायों के बीच दूरियां पटने के बदले और चौड़ी होती हैं।याचिका में फिल्म को एकतरफा भी बताया गया है। वैसे, अनुभव यह बताते हैं कि जब-जब भी किसी फिल्म के प्रदर्शन को लेकर जनहित याचिकाएं न्यायालयों में लगाई गयीं,तब-तब सम्बन्धित फ़िल्म की मार्केटिंग और मांग में इज़ाफ़ा ही हुआ है।ऐसी याचिकाएं कई बार व्यक्तिगत रंजिशों अथवा किसी अन्य उकसाहट के मारे भी थर्ड पार्टियों द्वारा लगवाई जाती हैं।मगर सत्य इससे अपनी जगह से कभी डिगता नहीं है।
निर्माता-निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने फिल्म को लेकर दायर की गई याचिका की जानकारी देते हुए एक पोस्ट को शेयर किया है। विवेक अग्निहोत्री ने कहा है कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ 2018 में बननी शुरू हुई थी। इसमें 4 साल की कड़ी रिसर्च और मेहनत लगी है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म आजाद भारत का वह कलंक है जिसको किसी ने आज तक फिल्मी पर्दे पर लाने का प्रयत्न अथवा साहस नहीं किया। उन्होंने दावा किया कि कश्मीर में 1990 में जो नरसंहार हुआ था, यह फिल्म उसका सत्य है। विवेक का कहना है कि इस फिल्म में उन लोगों के इंटरव्यू लिए गए हैं, जो कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं: सरकारी अधिकारी, पुलिस अधिकारी, विषय-विशेषज्ञ आदि के साकक्षात्कारों को साक्षी बनाकर फिल्म के सच को साकार किया गया है।अपनी तरफ से इसमें न कुछ जोड़ा गया है और न ही कुछ घटाया गया है। सच्चाई यानी सच्ची घटनाओं के सिवाय इसमें कुछ भी नहीं है।
दरअसल,फिल्म का आधिकारिक ट्रेलर कुछ दिनों पहले रिलीज किया गया था और इसमें दिखाये गये मर्मस्पर्शी दृश्यों को लेकर इस फिल्म की काफी तारीफ भी हुई थी। ट्रेलर में दिखाया गया है कि कश्मीर में आजादी की मांग को लेकर उस वक्त अलगाववादी ताकतें चरम पर थीं, जिन्हें कुछ राजनीतिक नेताओं का सपोर्ट भी मिल रहा था। फलतः कश्मीरी पंडितों पर हमले किए गए और उन्हें घाटी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। विवेक अग्निहोत्री इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के रहस्य पर ‘द ताशकंद फाइल्स’ बना चुके हैं, जो व्यावसायिक दृष्टि से सफल रही थी।
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है 'द कश्मीर फाइल्स' कश्मीर घाटी से निष्कासित पण्डितों की ददर्भरी दास्तानों और हृदयविदारक घटनाओं का एक सिलसिलेवार तरीके से फिल्मांकन है।ये कोई लवस्टोरी पर बनी फिल्म नहीं है।न ही सस्पेंस,भय या डाकाज़नी/स्मगलिंग आदि पर बनी कोई हॉरर अथवा मिस्ट्री फिल्म ही है।यह फ़िल्म है कश्मीरी पंडितों की उस त्रासदी की जो उन्होंने 1990 में झेली और अब तक भोगते आ रहे हैं।
कश्मीरी पंडितों की जलावतनी,उन पर हुए अनाचार,उनकी बेबसी और विवशताओं को गहनता के साथ उकेरती ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्म का बहुत दिनों से इंतजार था और प्रसन्नता की बात है कि निर्माता-निर्देशक ने पूर्ण तन्मयता और तटस्थता से निर्भय होकर इस फिल्म को तैयार किया है।सच को दबाया जा सकता है मगर बहुत दिनों तक छिपाया नहीं जा सकता, फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ यह संदेश देती है।
शिबन कृष्ण रैणा
अलवर
Ex-Member,Hindi Salahkar Samiti,Ministry of Law & Justice (Govt. of India) SENIOR FELLOW,MINISTRY OF CULTURE (GOVT.OF INDIA) 2/537 Aravali Vihar(Alwar) Rajasthan 301001 Contact Nos; +919414216124, 01442360124 and +918209074186 Email: skraina123@gmail.com,
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