Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दर्द अपना हो य पराया हो

 

दर्द अपना हो य पराया हो ,
जिंदगी मे लय बनाकर ,गीत गाना सीख |
नदी पत्थर तोड़ ,अपना पथ बनाती है ,
जिंदगी संघर्ष है , लड़ना सिखाती है |
आदमी का अर्थ जिस दिन जान लोगे तुम ,
यह भी तय है खुद को भी पहचान लोगे तुम |
आसुओ का दर्द जब करवट बदलता है ,
इक अजन्मे गीत का मुखड़ा निकलता है |
एक पल का दर्द ,सदियों मे पिघलता है ,
तब किसी चट्टान से झरना निकलता है |
होसला रखता है जो ऊची उड़ानों का ,
आसमानों तक वही परवाज देता है |

 

 

डॉ. श्रुति मिश्रा

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