Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हमसफ़र

 

 

इस कदर तुम तो करीब आ गए,
कि तुमसे बिछुड़ना गवारा नही ,
ऐसे बाधा मुझे अपने आगोश मे,
कि खुद को अभी तक सवारा नही |
अपनी खुशबू से मदहोश करता मुझे ,
दूसरा कोई ऐसा नज़ारा नही ,
दिल कि दुनिया मे तुझको लिया है बसा ,
तुम जितना मुझे कोई प्यारा नही |
दिल पे मरहम हमेशा लगते रहे ,
आफतो मे भी मुझको पुकारा नही ,
अपना सब कुछ तो तुमने है मुझको दिया ,
रहा दिल तक तो अब यह हमारा नही |
हमसफ़र तुम हमारे हमेश बनो ,
इस जमाने का कोई सहारा नही ,
साथ देते रहो तुम मेरा सदा ,
मिलता ऐसा जनम फिर दुबारा नही |

 

 


डॉ. श्रुति मिश्र

 

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