एक चिगारी भड़केगी, ठंडी फिजा मे ,
सामने जब वो हमारे आएगा |
चहेरे पर उसकी होगी चमक ,
सपने मेरे लिए हजारो लायेगा |
छल्ले से उलझे लहराते हुए ,
काले से केश उसके घनेरे,
फिर मुस्कुराते हुए आएगा ,
जब वो मेरे सामने |
मुझसे कहेगा मुस्कुराकर ओ मेरी माँ,
लिखती थी गीत तुम हमारे अधूरे ,
मै आया हु सुनकर तेरी पुकार
जी भर करो प्यार गीत रे पूरे|
आएगा भीनी सी खुशबू लेकर
दीनो के दुःख को हरता हुआ
जिस राह मे अकेली खड़ी हु मे
आकर चलेगा मेरे साथ वो |
जाने वो कैसा होगा ,
जो सिर्फ मेरा अक्स होगा |
डॉ श्रुति मिश्रा
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