किसी का धुँआ इश्क है,
तो ढूँढ़ती है सनम जिंदगी ।
किसी का धुँआ अश्क है,
तो डूबती है ताजनम जिंदगी ।
किसी का धुँआ अमल है,
तो चूमती है कदम जिंदगी
किसी मुज़रिम की तरह
बस, एक धुँए में कैद है जिंदगी ।
डॉ. शुभ्रता मिश्रा
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किसी का धुँआ इश्क है,
तो ढूँढ़ती है सनम जिंदगी ।
किसी का धुँआ अश्क है,
तो डूबती है ताजनम जिंदगी ।
किसी का धुँआ अमल है,
तो चूमती है कदम जिंदगी
किसी मुज़रिम की तरह
बस, एक धुँए में कैद है जिंदगी ।
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