Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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धुँए में कैद जिंदगी......

 

किसी का धुँआ इश्क है,
तो ढूँढ़ती है सनम जिंदगी ।
किसी का धुँआ अश्क है,
तो डूबती है ताजनम जिंदगी ।
किसी का धुँआ अमल है,
तो चूमती है कदम जिंदगी
किसी मुज़रिम की तरह
बस, एक धुँए में कैद है जिंदगी ।

 

 

डॉ. शुभ्रता मिश्रा

 

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