आज आदमी, से आदमी परेशान है
चमन को किया, माली ने वीरान है
मुश्किल है ढूँढना, रह-बर कौन
राह-जन कौन,क्या इसकी पहचान है
सूरज-चाँद दोनों हैं एक,एक दिन को
दूजा रात को करता परेशान है
नज़र क्या करें हम, घर की तरफ़
हर निगाह मेरी नज़र से परेशान है
मेला है यह दो दिन का,मत पूछ
यहाँ कौन किसका मेहमान है
आज उसकी बारी, कल हमारी
जिंदगी और कुछ नहीं,एक तूफ़ान है
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