Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आओ तुमको सुनाता हूँ

 

आओ तुमको सुनाता हूँ, आज एक कहानी
कल का क्या,कल रहे न रहे यह जिन्दगानी

 

मुहब्बत हर चंद बला नहीं है होती, मगर
मुहब्बत में बहुत बुरी होती, बदगुमानी

 

सूरज में वह तपिश नहीं है, जो ताप
लिये रहती सोजे - गम1 निहानी

 

मुहब्बत का एहसास हर क्षण लिखकर
नहीं कराई जाती,कुछ बातें हैं जो,होती जुबानी

 

शामे-जिन्दगी के साथ कब रही जवानी
ऐसे भी उम्रे-कोताह2से वफ़ा चाहना है नादानी


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