आओ तुमको सुनाता हूँ, आज एक कहानी
कल का क्या,कल रहे न रहे यह जिन्दगानी
मुहब्बत हर चंद बला नहीं है होती, मगर
मुहब्बत में बहुत बुरी होती, बदगुमानी
सूरज में वह तपिश नहीं है, जो ताप
लिये रहती सोजे - गम1 निहानी
मुहब्बत का एहसास हर क्षण लिखकर
नहीं कराई जाती,कुछ बातें हैं जो,होती जुबानी
शामे-जिन्दगी के साथ कब रही जवानी
ऐसे भी उम्रे-कोताह2से वफ़ा चाहना है नादानी
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