Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आप जब से मेरे सपने में आने लगे हैं

 

आप जब से  मेरे सपने  में आने  लगे हैं

मेरे  अंग-अंग  फ़ूल से  मुसकुराने लगे हैं


हर  वक्त तैरती  आँखों में  तसवीर आपकी

अब  तो आप  आईने में  भी आने लगे हैं


ठहरा- ठहरा   सा  रहता  था   दिल  जो

सीने  में उसके  भी  पैगाम  आने  लगे हैं


हर  तरफ़् लोग चर्चा  ये करने लगे बुतों के 

चेहरे  में  रौनक , कहाँ  से  आने  लगे हैं


माँगने  वाले को  आज़ार भी कम मिलते हैं

मेरे दामन में बिना माँगे,फ़ूल उतराने लगे हैं

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