आप जब से मेरे सपने में आने लगे हैं
मेरे अंग-अंग फ़ूल से मुसकुराने लगे हैं
हर वक्त तैरती आँखों में तसवीर आपकी
अब तो आप आईने में भी आने लगे हैं
ठहरा- ठहरा सा रहता था दिल जो
सीने में उसके भी पैगाम आने लगे हैं
हर तरफ़् लोग चर्चा ये करने लगे बुतों के
चेहरे में रौनक , कहाँ से आने लगे हैं
माँगने वाले को आज़ार भी कम मिलते हैं
मेरे दामन में बिना माँगे,फ़ूल उतराने लगे हैं
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