Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

आपका दिल मेरे प्यार के काबिल

 


आपका दिल मेरे प्यार के काबिल नहीं है
खाक में मिल जाना साहिल नहीं है


मेरा दिल बिस्मिल1 है , कातिल नहीं है

 

शमां चुप है,आशिक परेशान है,आलमे-तस्वीर2
कहती है , यह रंगे महफ़िल नहीं है

 

जिक्र मेरी बदी की महफ़िल में हो, मेरा
गम इन्तिहाने इश्क के काबिल नहीं है

 

न आप मिलने पे आमादा हैं,न मैं मिलने के
काबिल हूँ , इस मुहब्बत की मंजिल नहीं है




1. घायल 2. माहौल

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ