आप जायें कहीं ,आप को हमारी याद आयेगी
फ़ुर्सत के पल, हमारी बर्बादी याद आयेगी
मिले थे जहाँ हम पहली बार, वहाँ के शबे-
गम से मिलती-जुलती तैयारी याद आयेगी
जमीं से आसमां तक ,दीखेंगे जब गुब्बारे-
गुश्तगां लहराते हुए, मेरी यारी याद आयेगी
आप भी तड़पेंगे मेरी तरह, जब आपको
जीतकर हारी हुई,अपनी बाजी याद आयेगी
रखकर सीने परहाथ पूछेंगे जब खुद से
मुहब्बत क्यों नापाक हुई,खुद्दारी याद आयेगी
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