Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

अपने सभी बेगाने हुये

 

अपने सभी बेगाने हुये
उनसे मिले जमाने हुये

 

दमे - आखिर तक न मिले
न मिलने के अनेकों बहाने हुये

 

दिल, जिसे छुपाकर रखता था
उसी के खंजर के निशाने हुये

 

पहरा था जिस दिल पर,मेरा
उस दिल को गुजरे जमाने हुये

 

रंगे- जमाना1 इस कदर फ़िरा
आईने से भी वे अनजाने हुये

 

 

1.संसार की दिशा

 

 

 

डा० श्रीमती तारा सिंह

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ