अपने सभी बेगाने हुये
उनसे मिले जमाने हुये
दमे - आखिर तक न मिले
न मिलने के अनेकों बहाने हुये
दिल, जिसे छुपाकर रखता था
उसी के खंजर के निशाने हुये
पहरा था जिस दिल पर,मेरा
उस दिल को गुजरे जमाने हुये
रंगे- जमाना1 इस कदर फ़िरा
आईने से भी वे अनजाने हुये
1.संसार की दिशा
डा० श्रीमती तारा सिंह
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