Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आसमां को छू लूँ, मेरा यह अरमान नहीं है

 

आसमां  को छू  लूँ, मेरा  यह  अरमान नहीं है

तुमको  छोड़ मेरा, और  कोई  पहचान  नहीं है


तुम चाहो तो जीवन ले लो,चाहो तो जीवन दे दो

बिना तुम्हारी मर्जी,मेरे दुख का समाधान नहीं है


सफ़र- जिंदगी  से  हैरां - परेशां, आदमी  मात्र

एक   इनसान   है, कोई   भगवान  नहीं   है


दीख   रहा   जो  सर  के  ऊपर, आँखों   को

वह  सौ दिलों  का  गुव्वार है, आसमान नहीं है


कुदरत  की  सुंदरता  सब  की  जान  होती है

दिले- अरमां   की  आरजू- ए- जहान  नहीं है


जहाँ सँभाले  नहीं सँभाल पाता,आदमी खुद को 

वह उम्र  का तकाजा है,वहाँ कोई ढलान नहीं है


जो भगा  ले जाये  अपने  साथ  बस्तियाँ संग

किश्तियाँ  भी, वह  सैलाब है, तूफ़ान  नहीं  है


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