Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अच्छे दिन गुजारे हैं, बुरे भी गुजर जायेंगे

 

अच्छे  दिन  गुजारे  हैं, बुरे  भी  गुजर जायेंगे

तकदीर से बचकर  हम किधर जायेंगे


जिसने  जग  को  रखा  है  संभाल ,वही  हमें

        भी  संभालेगा,   वरना हम बिखर  जायेंगे


जिस  फ़लक ने गम  दिया,वही खुशी  भी देगा

रोते- हँसते एक  रोज  दुनिया से  गुजर जायेंगे


तकदीर आग  की दरिया है तो शीतल पानी की 

सरिता भी,चलेगी साथ-साथ जिधर-जिधर जायेंगे


इस दुनिया  में पयामे- जिंदगी  को कोई सुनता-

नहीं, निगाहे-नाजेयार  का लेकर किधर जायेंगे

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