Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ऐ मेरी गुल, गुलोबहार

 

ऐ    मेरी    गुल,    गुलोबहार

कर  ले  मुझसे  भी  थोड़ा प्यार


कोई पाक दिल इन्सां नहीं मिलेगा

हर   शख्स   है   यहाँ  दागदार


जिंदगी  का  सच  यही  है इसमें

खुशियाँ  कम, गम   हैं  बे-शुमार


कभी  तो करो, आँखों से दिल की

बात, अब  और होता नहीं इंतज़ार


गफ़लत तुम्हारा, तुमको भूल गया

हम तो आज भी हैं तुम्हारा बीमार


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