आँख खुली तो सपने टूट गये
मुड़कर देखा तो अपने छूट गये
क्या बताऊँ, हाले - वद अपना , कैसे
अपनों की मेहरबानी से करम फ़ूट गये
अजियत1 तेरे गम की, मुझे जीने नहीं
देता,बोल-बोलकर वे अपनी छाती कूट गये
फ़लक2 के अहाते से निकला भी न था
कि सर पर आसमां टूट गये
जिंदगी की गिरह अजल खोलती,उसके
पहले मय, मीना महफ़िल,साकी लूट गये
1. कष्ट 2. आकाश
डा० श्रीमती तारा सिंह
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